Nanu Ki Jaanu Movie Review

फिल्म – नानू की जानू
निर्देशक – फराज हैदर
लेखक – मनु ऋषि चड्ढा
मूवी टाइप – हॉरर, कॉमेडी

फराज हैदर के निर्देशन में बनी फिल्म ‘नानू की जानू’ आज यानी 20 अप्रैल को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म गुंडे और भूत की प्रेमकहानी है, जिसमें अभय देओल, आनंद उर्फ नानू का किरदार निभा रहे हैं जो कि एक गुंडा है। वहीं पत्रलेखा फिल्म में जानू (जो कि एक भूतनी है) का किरदार निभा रही हैं।

नानू की जानू की कहानी
एक्‍टर मनु ऋषि चड्ढा ने लेखक के तौर पर डेब्यू किया है। उन्होंने दिल्ली के वर्तमान परिवेश में एक भूत की कल्पना वाली कहानी लिखी है, जिसमें नायिका सिद्धी (पत्रलेखा) एक सड़क हादसे में मारी गई है और उसकी आत्मा एक अपार्टमेंट के फ्लैट के किचेन की चिमनी आकर बस गई है। वह फ्लैट फिल्म के नायक नानू (अभय देओल) का है।  सड़क हादसे के बाद सड़क पर गिरी सिद्धी को नानू अस्पताल लेकर जाता है, इसी बीच उसे सिद्धी से प्यार हो जाता है। बस इसी बिना एक शब्द की बातचीत वाली करीब 1 मिनट की मुलाकात लोगों के फ्लैट पर कब्जा करने वाले बिगड़ैल, फ्रॉड नानू की पूरी जिंदगी बदल कर रख देती है। शुरुआत में वह इस गुत्‍थी को नहीं सुलझा पाता, लेकिन बाद में जब सिद्धी का भूत उसकी जिंदगी को प्रभावित करता है, उसे बीयर पीने से रोकता है, उसकी मां पर हमला करने वाले को सबक सिखाता है तो वह भूत से प्यार करने लगता है। उधर सिद्धी के पिता मिस्टर कपूर (राजेश शर्मा) अपनी बेटी की मौत से गहसे सदमे में चले जाते हैं और उसकी लाश को अपनी बर्फ की फैक्ट्री में छुपा लेते हैं।

वह सिद्धी के हत्यारे को ढूंढ़ते हैं। लेकिन सिद्धी का भूत चाहता है कि वह हत्यारे तक कभी न पहुंच पाए। भूत ऐसा क्यों चाहता है यह जानने में अगर आपको दिलचस्पी आ रही हो तो आप फिल्म देखें। इसके अलावा फिल्म में नायक के पड़ोसी कुमार (ब्रिजेंद्र काला) आदि का किरदार फिलर के तौर पर हैं। नायक के दोस्तों (प्रमुख रूप से मनु ऋषि चड्ढा) के डायलॉग चेहरे पर थोड़ी हंसी लाते हैं।

Ratings 

2.6/5*

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